
मुनाफ की कहानी के बाद से इंडियन क्रिकेट में कइयों के लिए दरवाजे खुले हैं.
गुजरात के भरूच जिले के एक छोटे से गांव इखार में एक दिहाड़ी मजदूर से टीम इंडिया के फास्ट बॉलर बनने तक का मुनाफ पटेल का सफर किसी खूबसूरत सपने से कम नहीं रहा है. इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मुनाफ ने कहा है कि अगर वो क्रिकेट नहीं खेलते तो, आज भी कहीं मजदूरी ही कर रहे होते. और शायद अब अफ्रीका की किसी कंपनी में मजदूरी कर रहे होते क्योंकि उनके गांव के ज्यादातर वहीं जाकर टाइल फैक्टरियों में काम करते हैं. मुनाफ का कहना है कि उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि वो क्रिकेट इतने लंबे वक्त तक खेल पाएंगे.
मुनाफ जब छोटे थे तो वो एक टाइल फैक्टरी में 8 घंटे काम करते थे. टाइल के डिब्बों की पैकिंग करते थे और उन्हें गोदाम में अरेंज करके रखते थे जिसके लिए उन्हें रोजाना 35 रुपए का मेहनताना मिलता था. इस पर वो कहते हैं," दुख ही दुख था लेकिन झेलने की आदत हो गई थी. पैसा नहीं था हाथ में तो क्या ही कर सकते थे. पिता कमाने वाले इकलौते इंसान थे. मैंने आज जो भी हासिल किया वो क्रिकेट से बूते हैं."

वर्ल्ड कप में तीसरा सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला बॉलर.
इंडिया की 2011 वर्ल्ड कप जीत में मुनाफ का बड़ा रोल था. मगर वर्ल्ड कप जीतने, सचिन तेंडुलकर, युवराज सिंह और जहीर खान ही सारी लाइमलाइट ले गए. मुनाफ ने 11 विकेट लिए थे और वो तीसरे सबसे ज्यादा विकेट लेने वाला गेंदबाज थे, मगर बात ज्यादा नहीं हुई. फिर उस वक्त टीम के बॉलिंग कोच एरिक सिमन्स ने कहा कि मुनाफ पटेल इस वर्ल्ड कप जीत का वो हीरो है जिस पर किसी ने बात नहीं की. इंडिया के लिए 13 टेस्ट और 70 वनडे इंटरनेशनल खेलने वाला मुनाफ पटेल ने 2006 में डेब्यू किया था. आईपीएल में भी पहले गुजरात लायन्स और फिर मुंबई इंडियन्स के लिए खेले.
मुनाफ अब दुबई में होने वाली टी10 लीग में खेलेंगे और खुद के लिए कोचिंग करियर तलाश रहे हैं.