क्या हुआ था 26 सितम्बर 1998 की रात को?
राजश्री बैनर्स की फिल्म 'हम साथ-साथ हैं' की शूटिंग चल रही थी. सलमान, सैफ, तब्बू, नीलम, और सोनाली बेंद्रे सभी आये थे. जोधपुर के 'उम्मेद पैलेस' में इस फिल्म की पूरी टीम रुकी हुई थी. ये वो दौर था जब सलमान शर्ट पहनना पसंद नहीं करते थे. कभी-कभी खबरें आती कि सलमान ने होटल के स्टाफ से धक्का-मुक्की की. लॉबी में सिर्फ जीन्स पहने घूम रहे थे.पर ट्रेवल वालों और शूटिंग का इंतजाम देखने वालों के लिए सलमान तो स्टार थे ही. स्टार को मजे कराने थे. लिहाजा 26 सितम्बर 1998 की शाम को सितारों को घुमाने का कार्यक्रम तय हुआ. रात 10 बजे सलमान शिकार पर निकल पड़े. मारुती जिप्सी में. जिसे सतीश शाह चला रहे थे. उनके साथ सलमान आगे ही बैठे थे. 'ओरिजिनल' ड्राइवर दुलानी और चार लोग पीछे बैठे.

सलमान खान और पूरी टीम जिप्सी में
ये शिकारी काफिला जा रहा था होटल से 40 किलोमीटर दूर बावड़ गांव में. वहां चिंकारा का एक झुण्ड बैठा था. जैसा कि ड्राइवर दुलानी ने बाद में बताया था: 'सलमान ने दो बार गोली दागी. पर निशाना चूक गया था. सतीश शाह ने कहा: जमा के लगाओ. अबकी गोली ने एक चिंकारा की जान ले ली. सल्लू गाड़ी से उतरे और खून से लथपथ चिंकारा की गर्दन चीर दी. उसके बाद एक और चिंकारा मारा गया. फिर सब होटल लौट आये. रात के ढाई बजे कुक को उठाकर चिंकारा का मांस पकाया गया.'
फिर शिकार का सिलसिला बढ़ गया, पर चोगाराम ने देख लिया था
27 सितम्बर को शिकार फिर शुरू हुआ. हिरन की तलाश में. नहीं मिला. अबकी सलमान, सैफ और दुष्यंत ही थे. फिर एक चिंकारा ही मिला. 1 अक्टूबर को पूरी फ़िल्मी टीम साथ निकली. और इस बार दो काले हिरनों का शिकार किया गया.पर फ़िल्मी टीम को ये नहीं पता था कि गांव 'गुढ़ा विश्नोइया' के निवासी चोगाराम जिप्सी का पीछा कर रहे थे. किसी को ये नहीं मालूम था कि 'बिश्नोई समाज' के लिए चिंकारा और हिरन उनके जीवन और कल्चर का हिस्सा है. इतना कि एक किताब 'बियॉन्ड द टाइगर' में एक फोटो छपी थी जिसमें एक बिश्नोई औरत हिरन के बच्चे को दूध पिला रही है. उसके बाद बिश्नोई समाज के लोगों ने जिप्सी का पीछा करना शुरू कर दिया. जिप्सी पर तोड़-फोड़ की. और फारेस्ट ऑफिसर्स से चिंकारा मारने की शिकायत की. पर ऑफिसर्स हीरो-हीरोइन के साथ फोटो खिंचाने में मशगूल थे. कोई शिकायत नहीं लिखी गई. बाद में 'दैनिक भास्कर' ने ये खबर छापी. तब अचानक से बहुत सारे ऑफिसर फ़िल्मी टीम से पूछ-ताछ करने पहुंच गए. पूछ-ताछ में फिल्म की तीनों हीरोइनें रो पड़ीं: 'हमने एक भी गोली नहीं चलाई. हमने तो बस तालियां बजाईं थीं.' इनको बेक़सूर मान लिया गया. इनके साथ सैफ को भी जमानत मिल गई.

उसी शिकार केस में तब्बू और नीलम पुलिस के पास जाते हुए
रिपोर्ट में आया: 'चिंकारा बहुत ऊंचा कूद जाने से मर गया था'
रह गए सलमान. पर अपने रसूख का पूरा भरोसा था इनको. अफसरों ने भी माना इस बात को. रिपोर्ट में Deer की जगह Dear लिखा गया. फिर हिरन की मौत की वजह 'ज्यादा खाना खाना' बताया गया. बाद में एक रिपोर्ट में ये भी कहा गया कि चिंकारा बहुत ऊंचा कूद जाने से मर गया था.पर 'बिश्नोई समाज' पीछे लगा रहा. नेता लोग भी आ गए. कहा गया कि बिश्नोई वोट का मामला है. 12 अक्टूबर को तीन चिंकाराओं के शिकार के आरोप में सलमान गिरफ्तार कर लिए गए.

सलमान खान पूछ-ताछ के दौरान
16 अक्टूबर को मजिस्ट्रेट ने इनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी और 26 अक्टूबर तक जुडिशियल कस्टडी में जेल भेज दिया. लेकिन 17 अक्टूबर को डिस्ट्रिक्ट जज ने 1 लाख रुपये का बांड भरवाकर सलमान को जमानत दे दी. कुल चार केस दर्ज हुए. खान को फारेस्ट डिपार्टमेंट और पुलिस की चार हवालातों में घूमना पड़ा.

सलमान जब जोधपुर जेल से रिहा हुए, 1998
सलमान के 'पशु-प्रेम' का एक और मॉडल
16 अक्टूबर को एक और वाकया हुआ था. जो सलमान के 'पशु-प्रेम' का एक और मॉडल था. पनवेल के पास सलमान के डैडी सलीम खान के फार्महाउस पर फ़ॉरेस्ट डिपार्टमेंट का छापा पड़ा. वहां से दो चीतल, एक काला हिरन और एक मोर बरामद हुये. इनको जब्त कर लिया गया. पर वहां से 'संजय गांधी नेशनल पार्क' ले जाने में ही काले हिरन की मौत हो गई. इसका 'अपराधी' कोई नहीं था.उस वक़्त कहा गया कि वाइल्डलाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1972 के तहत चिंकारा और काले हिरन के शिकार के जुर्म में सलमान को एक से छः साल की सजा हो सकती है. अगर इसका मांस पकाने का अपराध जोड़ दें तो सात साल की भी सजा हो सकती है.
और अब 18 साल बाद जोधपुर हाई कोर्ट ने सलमान खान को चार में से दो मामलों में बरी कर दिया है. क्योंकि कोई साक्ष्य नहीं मिला. अब राजस्थान सरकार सुप्रीम कोर्ट जाएगी.
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