मुंबई ट्रेन ब्लास्ट के 12 दोषियों को बरी करने के बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई है. हाई कोर्ट के फैसले को चौंकाने वाला बताते हुए सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से मामले में तत्काल विचार करने की अपील की है. सुप्रीम कोर्ट ने अपील को मंजूर कर लिया है. 24 जुलाई को वह इस मामले में सुनवाई शुरू करेगा.
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट: 12 दोषियों को बरी करने के फैसले को चुनौती, सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई
2006 Mumbai Blast Case: सबूतों की कमी के आधार पर Bombay High Court ने सभी 12 दोषियों को बरी करने का फैसला सुनाया, जिसके बाद महाराष्ट्र सरकार ने इस फैसले को Supreme Court में चुनौती दी.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. उन्होंने CJI बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ से कहा कि यह सरकार के नजरिए से एक गंभीर मामला है. राज्य सरकार ने इसमें पहले ही अपील तैयार कर ली है. मेहता ने मामले में कोर्ट से बुधवार, 23 जुलाई को ही सुनवाई की मांग की.
CJI गवई ने 8 दोषियों को पहले ही रिहा किए जाने की बात कही तो सॉलिसिटर जनरल ने जवाब दिया,
हां, फिर भी हम चाहेंगे कि माननीय न्यायाधीश इस पर जल्द से जल्द विचार करें.
इसके बाद CJI गवई ने कहा कि इसे गुरुवार के लिए लिस्टेड किया जाएगा.
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11 जुलाई 2006 की शाम मुंबई की 7 लोकल ट्रेनों में 11 मिनट के भीतर 7 धमाके हुए थे, जिसमें 189 लोग मारे गए. इस हमले में 824 लोग घायल हुए. ये धमाके शाम करीब 6.30 बजे के व्यस्त समय में भीड़भाड़ वाली ट्रेनों में हुए. चर्चगेट से चलने वाली ट्रेनों के फर्स्ट क्लास डिब्बों में प्रेशर कुकर में ये बम रखे गए थे.
इस मामले में 13 लोगों पर केस चला था.
साल 2015 में महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम्स एक्ट (MCOCA) के तहत बने एक स्पेशल कोर्ट ने मामले से जुड़े एक आरोपी को बरी कर दिया था. बाकी 12 में से 5 को मौत की सजा और 7 को उम्रकैद की सजा मिली थी. मृत्युदंड पाए एक अभियुक्त की 2021 में मौत हो गई थी.
सबूतों की कमी और कई कानूनी खामियों के आधार पर हाई कोर्ट ने सोमवार, 21 जुलाई को सभी 12 दोषियों को बरी करने का फैसला सुनाया, जो 18 साल से जेल में बंद सजा काट रहे थे.
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