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बंगाल की खाड़ी में घूम रहे थे चीनी बैटलशिप! भारत ने ब्रह्मोस का परीक्षण कर चौंका दिया

मिसाइल ने अपने टारगेट पर एकदम सही निशाना लगाया. इससे समज में आता है कि ब्रह्मोस के गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम्स बहुत अच्छी तरह काम कर रहे हैं. आर्मी ने एक पोस्ट कर कहा कि टेस्ट ने अपने सभी लक्ष्य पूरे किए और यह साबित कर दिया कि इसकी ब्रह्मोस यूनिट रियल-टाइम मिशन के लिए तैयार है.

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ब्रह्मोस मिसाइल (PHOTO-X)

इंडियन आर्मी ने 1 दिसंबर को बंगाल की खाड़ी के ऊपर ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल (Brahmos Supersonic Cruise Missile) का सफल टेस्ट किया. यह लंबी दूरी का सटीक हमला दक्षिणी कमांड की ब्रह्मोस यूनिट ने अंडमान और निकोबार कमांड के सपोर्ट से किया. खास बात ये है कि इस दौरान बंगाल की खाड़ी के पास ही चीनी नेवी (PLA Navy Survey Vessels) के निगरानी करने वाले जहाजों के होने की खबरें भी थीं.

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मिसाइल एकदम सटीक

मिसाइल ने अपने टारगेट पर एकदम सही निशाना लगाया. इससे समझ में आता है कि ब्रह्मोस के गाइडेंस और कंट्रोल सिस्टम्स बहुत अच्छी तरह काम कर रहे हैं. आर्मी ने एक पोस्ट कर कहा कि टेस्ट ने अपने सभी लक्ष्य पूरे किए और यह साबित कर दिया कि इसकी ब्रह्मोस यूनिट रियल-टाइम मिशन के लिए तैयार है. वहीं इस खास मौके पर दक्षिणी कमांड के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ ने सफल टेेस्ट की प्रशंसा की. उन्होंने इसे सेना की लंबी दूरी तक हमला करने की क्षमता को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया.

यह टेस्ट न सिर्फ भारत की मिलिट्री पावर को दिखाता है, बल्कि ये इस बात का भी प्रतीक है कि भारत का अपना स्वदेशी मिसाइल सिस्टम कितना विश्वसनीय है. सेना ने एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा,

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दक्षिणी कमांड का यह सफल लॉन्च डिफेंस में भारत की बढ़ती आत्मनिर्भरता और भविष्य की ऑपरेशनल चुनौतियों का सामना करने के लिए सेना की पक्की तैयारी का एक मजबूत सबूत है.

ऑपरेशन सिंदूर में साबित हुई थी गेमचेंजर

ऑपरेशन सिंदूर में भारत के हमले के बाद पाकिस्तान ने ड्रोन हमले शुरू किए. उसे लगा कि उसके ड्रोन्स के झुण्ड से वो भारत को हरा सकता है. लेकिन उसे ये अंदाजा नहीं था कि भारत इस युद्ध में ब्रह्मोस को उतार देगा. भारत को ये समझ आ गया कि अगर पाकिस्तान के हौसले पस्त करने हैं तो इनके मिलिट्री ठिकानों पर एक घातक लेकिन सटीक हमला जरूरी है. लिहाजा इंडिया ने ब्रह्मोस का इस्तेमाल शुरू किया. पाकिस्तान के 11 एयरबेस इसके निशाने पर थे. चूंकि भारत ने पहले ही HQ-9P एयर डिफेंस उड़ा डाला था, इसलिए रोकना तो दूर, पाकिस्तानी ब्रह्मोस को इंटरसेप्ट तक ना कर सके. लेकिन अगर वो इसे ट्रैक कर भी लेते तो मैक 3 की रफ्तार, और जमीन से कम ऊंचाई पर उड़ने के कारण इसे रोकना लगभग नामुमकिन है. ये ब्रह्मोस का ही हमला था जिसकी वजह से अगले ही दिन दोपहर में पाकिस्तानी DGMO ने भारत के DGMO लेफ्टिनेंट जनरल राजीव घई को फोन कर सीजफायर की मांग की.

वीडियो: गेस्ट इन द न्यूजरूम: पाकिस्तान को धूल चटाने वाली ब्रह्मोस मिसाइल बनी कैसे? साइंटिस्ट ने सब बताया दिया

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