ना मांगू सोना-चांदी.. ना चाहूं हीरा-मोती..ये मेरे किस काम के..
वहां गीतकार ने दिल मांगा था. वो दौर दूसरा था, वरना आज के ज़माने में तो सोना-चांदी की रिप्लेसमेंट में बंदा दिल की बजाय डेटा मांगता. डेटा. आज के टाइम की सबसे कीमती चीज़. आप, मैं, घर, दफ़्तर, समाज, सरकार हम सब डेटा हैं. और आज जो कुछ भी चल रहा है वो डेटा की वजह से ही चल रहा है. 28 जनवरी को डेटा प्राइवेसी/प्रोटेक्शन डे के रूप में मनाया जाता है.