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जब लॉकडाउन में सब घर बैठे थे, तब सौरभ शुक्ला ने ये कांड कर दिया

त्रासदी ने जिसे जन्म दिया, उस 'सत्यप्रकाश परम कोविड' का क्या किस्सा है?

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'मैडम चीफ मिनिस्टर' के इंटरव्यू के दौरान अपनी कमाल की नई फिल्म अनाउंस कर दी. फोटो - यूट्यूब
ऋचा चड्ढा और सौरभ शुक्ला की 22 जनवरी को एक फिल्म रिलीज़ हुई. नाम है ‘मैडम चीफ मिनिस्टर’. फिल्म में ऋचा ने एक दलित लड़की का किरदार निभाया है. वहीं उनके मेंटर या ‘दद्दा’ बने हैं सौरभ शुक्ला. रिलीज़ से पहले ऋचा चड्ढा, सौरभ शुक्ला और फिल्म के डायरेक्टर सुभाष कपूर ने लल्लनटॉप के एडिटर-इन-चीफ सौरभ द्विवेदी से खास बातचीत की. फिल्म और अपनी ज़िंदगी से जुड़े कुछ किस्से शेयर किए. उन्हीं में से एक आपको बताते हैं.
किस्सा है लॉकडाउन का. वो वक्त जब सबकी दुनिया घर की चार-दीवारी में सिमट चुकी थी. बस वेट करते थे कि कब खत्म होगा ये लॉकडाउन. उसी अनिश्चिताओं से भरे दौर पर सौरभ द्विवेदी ने भी फिल्म की टीम से सवाल किया. जानना चाहा कि 2020 ने क्या सिखाया. इसपर सौरभ शुक्ला ने जवाब दिया. बताया कि लॉकडाउन ने कैसे ज़िंदगी को स्थिर कर दिया था. किस्मत का भी यहां अलग ही फेर था. क्यूंकि लॉकडाउन शुरू होने से ठीक पहले सौरभ मुंबई पहुंचे. वो भी आखिरी फ्लाइट लेकर. अपने घर में बंद रहे. नीचे घर और उसके ऊपर ही ऑफिस. इतने समय से जिन फिल्मों को होल्ड पर डाल रखा था, उनका नंबर लगाया. एक-एक कर सब देख डाली. पर फिल्में भी लिमिटेड ही थीं. खत्म तो होनी ही थीं. हुईं भी. इनके साथ एक और चीज़ खत्म हुई. घर पर रखी शराब. अब समझ नहीं आया कि करें क्या?
Saurabh Shukla In Jolly Llb
सौरभ शुक्ला और डायरेक्टर सुभाष कपूर 'जॉली एलएलबी' में भी साथ काम कर चुके हैं. फोटो - फिल्म स्टिल

किसी ज़माने में सौरभ का एक प्लान था. पैसा आएं तो बड़ी गाड़ी ली जाए. वो भी एकदम इंपोर्टेड. फिर सोचा छोड़ो यार, गाड़ी तो गाड़ी है. इसके बदले कुछ और खरीदा. बहुत सारे कैमरा, लेंस और ट्राइपॉड. उस समय सोचा था कि किसी कैमरामैन को पकड़ लेंगे और निकल पड़ेंगे शूट करने. लॉकडाउन के टाइम याद आया कि कैमरा तो धूल खा रहे हैं. इनकी मशीनरी को तो तेल की जरूरत है. और तेल तब मिलेगा जब ये चलेंगे. बस फिर निकाला कैमरा. अब मुसीबत ये थी कि कैमरा चलाना नहीं आता. अपने सिनेमेटोग्राफर दोस्त को फोन मिलाया. कैमरा की तिकड़मबाज़ी पूछी. कैमरा ऑन हुआ. फ्रेम दिखा. अब ये भी कलाकार आदमी. खाली फ्रेम था तो खुद जा बैठे. बैठे तो सोचा कुछ बोल भी दिया जाए. बोला, फिर जाकर शॉट देखा. तो खुद ही को अच्छा लगा. फिर सोचा कि इसी से मिलता-जुलता कुछ और बोला जाए. यहीं से शूटिंग का कारवां शुरू हो गया. ऐसा कि साढ़े तीन महीने तक चला. और अंत में हाथ आई एक फिल्म की फुटेज.
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सौरभ शुक्ला 4 फरवरी को आने वाली 'आधार' में भी नज़र आएंगे. फोटो - इंस्टाग्राम

अब फिल्म की शक्ल ऐसी है कि 90 मिनट की बनकर तैयार है. एडिटिंग के टाइम फुटेज को कलर करेक्ट किया जाता है. ताकि जैसा कलर चाहिए, वैसा मिल सके. इस प्रोसेस से भी फिल्म गुज़र चुकी है. अभी हाल ऐसा है कि ये साउंड प्रॉडक्शन में है. सौरभ का प्लान है कि फिल्म पूरी होते ही इसे फिल्म फेस्टिवल्स की सैर पर ले जाया जाए. इसके बाद अगर बात बनी तो किसी OTT प्लेटफॉर्म पर हमें भी देखने को नसीब होगी. लल्लनटॉप अड्डा के जरिए सौरभ शुक्ला ने अपनी ये फिल्म अनाउंस भी कर दी. जब सौरभ द्विवेदी ने सवाल किया कि फिल्म का शीर्षक क्या है? तो सामने से जवाब आया, 'टेल ऑफ सत्यप्रकाश परम कोविड'. काफी अटपटा और काफी यूनीक नाम.
फिल्म में एक्टिंग, डायरेक्शन, एडिटिंग, राइटिंग और शूटिंग के कॉलम के अंडर एक ही नाम आने वाला है. सौरभ शुक्ला. इसपर चुटकी लेते हुए वो कहते हैं कि लोग कहेंगे कि देख भी खुद ही लेना तुम.

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