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3 लड़कियों ने एक लड़के का लगातार रेप किया, नग्न कर खेत में छोड़ा

और हां, लड़के को बिलकुल भी 'मज़ा' नहीं आया.

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30 मई 2017 (Updated: 30 मई 2017, 09:28 IST)
Updated: 30 मई 2017 09:28 IST
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साउथ अफ्रीका में तीन लड़कियों ने मिलकर एक को ड्रग्स देकर बेहोश किया. फिर बार बार उसका गैंगरेप किया. पूरे तीन दिनों तक. लड़का साउथ अफ्रीका के प्रेटोरिया शहर का है. उम्र है 23 साल. बीते दिनों सड़क पर कहीं जाने के लिए साधन खोज रहा था. एक शेयर टैक्सी मिली. उसमें तीन लड़कियां थीं. लड़के के गाड़ी में बैठते ही गाड़ी उल्टी दिशा में जाने लगी. और लड़कियों ने लड़के को आगे की सीट पर बैठा दिया. इसके बाद उसे जबरन एक इंजेक्शन दिया. जिसके बाद वो तुरंत बेहोश हो गया. अगली बार जब लड़के की आंख खुली, उसने खुद को एक अनजान कमरे में एक सिंगल बेड पर पड़ा हुआ पाया. लड़के के मुताबिक़, इसके बाद उसे एक एनर्जी ड्रिंक पिलाया गया. और तीन दिनों तक बारी बारी उसका रेप किया. तीन दिन बाद उसे उसे नग्न अवस्था में एक खेत में छोड़ दिया. वो किसी तरह एक कार से लिफ्ट लेकर घर पहुंच सका. पुलिस की मानें तो चाहे औरत हो या पुरुष, किसी भी तरह की सेक्शुअल हिंसा को वो बहुत सीरियसली लेते हैं. पुलिस का वादा है कि वो आरोपी लड़कियों को खोज निकालेगी. साउथ अफ्रीकी आंकड़ों के मुताबिक़ उनके देश में होने वाले सही रेप में 20 फीसदी के शिकार पुरुष होते हैं. मगर क्या हम पुरुषों के रेप को सीरियसली लेते हैं? रेप एक पावर का क्राइम है. पावर का अर्थ यहां सत्ता से है. जब किसी को ये मालूम होता है कि उसके पास अगले व्यक्ति से ज्यादा ताकत है, वो उसके साथ हिंसा करने से पहले नहीं सोचता है. बल्कि वो अपनी सत्ता का प्रदर्शन करने के लिए किसी अकेले या कमजोर व्यक्ति के शरीर पर मात्र ‘उत्पीड़न’ ही नहीं, ‘यौन उत्पीड़न’ करता है. क्योंकि यौन उत्पीड़न तमाम तरह के टॉर्चर के परे एक फुल स्टॉप सा है. कि ये हुआ तो अगला व्यक्ति आत्मा तक घायल होगा. जब बात पावर यानी सत्ता की होती है, तो हमारी सोच से लेकर भाषा तक हम पुरुष और पौरुष के बारे में सोचते हैं. ये हमारी कोई खामी नहीं, हमारी ट्रेनिंग है. हमें लगता है कि शोषण करने वाला पुरुष ही होगा. क्योंकि औरतें कमजोर होती हैं. और रेप की बात सुनते ही हमारे दिमाग में जो तस्वीर बनती है, वो एक पुरुष की एक स्त्री पर खुद को जबरन थोपते हुए कि बनती है. चूंकि हमारे समाज में ‘इज्जत’ औरतों में बसती है, पुरुषों में नहीं, पुरुष के पास कुछ लुटने का होता ही नहीं है. इसलिए अगर कभी सत्ता औरत के हाथ में आती है, हमें लगता है कुछ अलग हो गया है. जब ये सत्ता औरत के हाथों पुरुष पर हुई हिंसा के रूप में दिखती है, हमें ये हास्यास्पद लगता है. और ये न भूलें कि औरत का पुरुष पर हमला करना कोई क्रांतिकारी या नारीवादी बात है. ये हिंसक है. अमानवीय है. और जो पुरुषवादी सोच औरतों को पीटने को जस्टिफाई करती है, वही पुरुष के पिटने पर कहती है, ‘औरत से पिट गए?’ यकीन मानिए, जिस लड़के के साथ तीन लड़कियों ने तीन दिनों तक लगातार रेप किया है, उसको उन दिन बिलकुल 'मज़ा' नहीं मिला होगा.
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